Monday, August 14, 2023

कल आज और कल

मैं गुनगुनाता हूं एक गीत

जिसमे बाते हैं हम सब की

कल आज और आने वाले कल की


हमरे बचपन के ख्वाहिशों की

अभी गुज़रते हुए वक़्त की

आने वाले अच्छे दिन की आशा की


बचपना मिट्टी में लोटपोट होके खेलने में गुजरी

तो जवानी मिट्टी पे बने घर के कर्ज चुकाने में

और मृत्यु वापसी मिट्टी में मिल जाने की सच्ची करवाहट में


पहले तो कलम और दवात थे

अब तो आईपैड नोटपैड और AI हैं

और कल सिर्फ मन के ख्याल रहेंगे


समय की फिक्र ना थी जोश की कमी ना थी

अभी पैसे कमाने की होर में हैं हेल्थ को मात दी

और कल स्वास्थ्य ठीक करने में पैसे खतम की


सोचता था जीवन मस्ती में गुजरेगी हस हस के

क्या पता हम जियेंगे दूसरे की सफलता से जल-जल के

और मरेंगे खुद पे तरस खा खा के


मेहनत तो तब भी की थी खेलें कूदने और पढने में

मेहनत अब भी कर रहे जिंदगी को संवारने में

और कल भी करेंगे बिगडे हुए चीज़ों को सवारने में


कोशिश करता हूं कि बचपना सवार के रखू

धन दौलत से आगे खुशियां सवार के रखू

आने वाले कल के लिए खुद को तंदुरुस्त रखू


अचानक आवाज आती है आस-पास से कि बिना पैसे की इज्जत नहीं

फिर लग जाता हु रोजमर्रे की जिंदगी में जीवन का मकसद भुला के

अपनी संस्कृति और सद्व्यवहार भूला के


मैं गुनगुनाता हूं एक गीत

जिसमें बाते हैं हम सब की

कल आज और आने वाले कल की